1984 भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की क्यूरेटिव याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों का संविधान पीठ के फैसले से केंद्र को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की क्यूरेटिव याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि डाऊ कैमिकल्स के साथ समझौता फिर से नहीं खुलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह केंद्र के कदम से निराश है. 50 करोड़ रुपये अभी भी RBI के पास पड़े हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर हम याचिका को स्वीकार करते है तो “पेंडोरा बॉक्स” खुल जाएगा. समझौते के तीन दशक बाद मामले को नहीं खोला जा सकता. कोर्ट ने कहा कि समझोते को सिर्फ धोखेधड़ी के आधार पर रद्द किया जा सकता है, भारत सरकार द्वारा धोखाधड़ी का कोई आधार नहीं दिया गया है.सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने पहले ही कहा था कि यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन द्वारा भुगतान की गई राशि पीड़ितों के सभी दावों को निपटाने के लिए पर्याप्त थी. केंद्र की याचिका में कोई मेरिट नहीं है, क्योंकि 50 करोड़ रुपये की राशि अभी भी पड़ी है. कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए कि सरकार मुआवजे में कमी और बीमा पॉलिसी लेने में विफल रही. यह केंद्र की ओर से घोर लापरवाही है. दो दशकों के बाद इस मुद्दे को उठाने के लिए कोई तर्क प्रस्तुत करने” में केंद्र की विफलता पर असंतोष जताया.
Supreme Court rejects Centre's curative plea for enhanced compensation for the victims of the 1984 Bhopal Gas tragedy from US-based firm Union Carbide Corporation, now owned by Dow Chemicals. pic.twitter.com/bYaCN0VIBg
— ANI (@ANI) March 14, 2023